प्रेमशास्त्र - (भाग-६)

  • 3.4k
  • 1
  • 1.8k

उद्धव के गुरु बृहस्पति ने उन्हें बताया था कि कृष्ण रूप में तुम्हारे छोटे भाई भगवान विष्णु का अवतार हैं। यह जानते हुए भी कि श्रीकृष्ण भगवान के पूर्णवातर है फिर भी उद्धवजी को श्रीकृष्‍ण के शारीरिक रूप से उन्हें कोई मोह नहीं था। उनके अंतरमन में भी कहीं न कहीं ज्ञान का अहंकार छिपा हुआ था और वे निराकर परब्रह्म की उपासना को ही सच्चा मार्ग मानते थे। उनकी दृष्‍टि में ज्ञान ही महत्वपूर्ण था। यह बात श्रीकृष्ण अच्छे से जानते थे इसीलिए उन्होंने उद्धवजी को ही अपना संदेशवाहक चुना। गोपियों के प्रश्न सुनकर उद्धवजी ने कहा - हे