आखिरी ख़त...

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विलासी कई दिनों से बीमार होकर बिस्तर पर लेटी है,शायद अपने जीवन की आखिरी घड़ियाँ गिन रही है,उसकी सेवा में उसके बेटे और बहु ने कोई कसर नहीं छोड़ी है,सच्चे मन से दोनों ही विलासी की सेवा में जुटें हैं.... आज विलासी का जी कुछ ज्यादा ही अनमना है,उसके मन ने कहा कि आज वो अपने बेटे और बहु को उस कोठरी की कहानी सुना ही देगी,ये सोचकर उसने अपनी बहु रमिया को पुकारा.... रमिया...ओ..रमिया! आ तो जरा,मेरे पास आ ।। हाँ! अम्मा !का हुआ,का बात है कुछ चाहिए,रमिया ने पूछा।। आज मन को ऐसा लग रहा है कि जैसे