तुम दूर चले जाना - 11

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उस रात किरण एक पल भी नहीं सो सकी। उसचाह कर भी उसे नींद नहीं आयी। सारी रात उसने जागकर ही काट दी। उस रात सितारे सरकते रहे। बादल अपनी आवारगी में सारे आकाशमण्डल में भटकते फिरे… और पूरा नैनीताल खामोशियों का बुत बना हुआ, चुपचाप किरण की परिस्थिति को देख-देखकर, अपनी बेबसी पर आँसू बहाता रहा। झील खामोशी से उदासियों का प्रतिबिम्ब बनकर उसके दर्द में भागीदार बनकर सारी रात काँपती रही। वनस्पति भीगती रही। आकाश से शबनम की बूंदें रात की वियोगिन बनकर अपने आँसू बहाती रहीं, परन्तु किरण को एक पल भी चैन नहीं आया। वातावरण की