अध्याय 14 (43) मेजर विक्रम ने शांभवी का हाथ पकड़ा और तेजी से वे दोनों एक पेड़ की ओट में हो गए। मेजर विक्रम ने कहा- वो दूर एक गाड़ी खड़ी है न शांभवी? उसमें साधू संन्यासियों के वेश में जो कुछ लोग दिखाई दे रहे हैं न, उनकी गतिविधियां मुझे सही नहीं लग रही हैं। लगता है ये छद्म वेश में आतंकवादी हैं क्योंकि ये अजीब सी नज़रों से न सिर्फ मंदिर को देख रहे हैं बल्कि आने-जाने वाले लोगों को भी। मुझे लग रहा है दोपहर की आरती के समय जब अधिक लोग मंदिर के अंदर इकट्ठा होंगे