मीठी की माँ को गुजरे कुछ ही वक्त हुआ था, और उसके रिश्तेदार उसके पापा की दूसरी शादी के लिए रिश्ते लाने लगे।पिताजी की सरकारी नोकरी होने के कारण किसी को भी ज्यादा वक्त नहीं लगता था उसके पापा के लिए लड़की देखने में मगर मीठी के पिता हमेशा मना कर दिया करते थे क्यूँ कि उसके पापा जानते थे कि जो प्रेम और स्नेह एक माँ अपने बच्चों को डर सकती है बह प्रेम और स्नेह कोई सौतेली माँ नहीं दे सकती थी यही बात मिठी के पिता को अंदर ही अंदर खाए जा रहीं थी।जब भी मीठी के