उस समय नदी के किनारे कई तैराक उपस्थित थे, जिन्हें इस नाव को देखकर यह आभास हो गया था कि यह नाव सही सलामत किनारे लग जाए तो यह चमत्कार ही होगा। जैसे ही नाव गुलाटी खाकर डूबने लगी, कई तैराक अपनी जान पर खेल कर सरिता में कूद पड़े। जितनों को बचा सकते थे, भरसक प्रयत्न करके बचा लिया। जो भाग्यशाली थे बच गए, जिनकी क़िस्मत में वहीं अंत लिखा था नदी के तल में समा गए। जो बाहर निकाले गए वह भी ख़ुद भले ही बच गए लेकिन अपने साथ वापस घर जाने के लिए अब उनके साथ