यादों के कारवां में - भाग 12

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38.सावन और मेघ पानी बरस रहा झमाझम,धरती पर मेघों की छाया,सूरज भी अंतर्धान हो गए,देखो सावन है आया।गिरती फुहारें जलकी रिमझिम,श्वेत धुआंसा छाया,तप्त धरा को शीतल करने,देखो सावन है आया।हुए गांव नगर लबालब,सड़कें पानी में डूब रहीं,गली में छपछप दौड़ते बच्चे,देखो सावन है आया।थम जाता है जनजीवन,नदी-नालों की मर्यादा टूटीपड़ती मार गरीबों की छत पे,कैसा सावन ये आयासावन का है रूप मनोहर,प्रिय की याद लिए आयाफिर प्रेम के बनते मेघदूत,देखो सावन है आया।बारिश का तो ओर न छोर,सारी सृष्टि पानी-पानी,विश्व प्रेम का लिए संदेसा,देखो सावन है आया।डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय©39 होना साथ तेराजैसे छाया तन से अलग नहीं,जब धूप न