शीर्षक = इश्क़ का जूनूनस्वरा बेटा जिद्द छोड़ दे, मरे हुए लोग वापस नही आते है, संस्कार भी हम सब को छोड़ कर जा चुका है, ये बात तू मान क्यूँ नही लेती? क्यूँ पिछले पांच साल से एक मुर्दे के जिन्दा आने की आस लगाए बैठी है, और क्या सबूत चाहिए था तुझे जिससे की तुझे यकीन आ जाता की तेरा संस्कार इस दुनिया से जा चुका है, उसके कपड़े, उसके जूते सब कुछ तो सेनिको ने संस्कार की माँ के हवाले करते हुए कहा था की माफ करना माँ जी आपका बहादुर बेटा भारत माँ के आगोश में