अध्याय 12 डायरी के इन पृष्ठों की हालत बुरी थी।एक दो पृष्ठ कहीं-कहीं से फटे हुए थे.... मेजर विक्रम ध्यान से देख रहे थे और शांभवी ने डायरी को अपने सीने से लगा कर रखा था.... लेकिन मजबूत ह्रदय कर उसने इसके पन्ने पलटते हुए आगे की कहानी बताना शुरू किया। इसके कुछ पृष्ठ अधूरे ही रह गए थे... शायद आगे मेजर शौर्य ने जो किया वह डायरी के इन पन्नों में दर्ज नहीं हो पाया.... बाद में मिलने वाली सूचनाओं और मेजर विपिन द्वारा बताई जानकारी के आधार पर शांभवी ने कहना शुरू किया..... (36) ........ मेजर शौर्य बड़ी