भटकती आत्मा किसी के इंतजार में 

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मैदानी भागों में भी अगर किसी कल-कल बहती नदी के किनारे कोई छोटा सा गाँव हो, आस-पास में हरियाली ही हरियाली हो, शाम के समय गाय-बकरियों का झुंड इस नदी के किनारे के खाली भागों में छोटी-बड़ी झाड़ियों के बीच उग आई घासों को चर रहा हो, गायें रह-रहकर रंभा रही हों, बछड़े कुलाछें भर रहे हों, वहीं कहीं पास में ही एक छोटे से खाली भाग में चरवाहे गुल्ली-डंडा या चिक्का, कबड्डी आदि खेल रहे हों और छोटी-छोटी बातों पर भी तर्क-वितर्क करते हुए हँसी-मजाक कर रहे हों, पास के ही खेतों में किसान लोग खेतों की निराई-गुड़ाई या