इस आवाज को सुनकर मै बुरी तरह डर गया मै डरते हुए बोला "क..... कौन..??""मैं हूं अमृता" मेरे अंदर से आवाज आई।अमृता... लेकिन तुम तो सपने में थी फिर, नहीं नहीं... मैं सपना देख रहा हूं...??"अमृता "तुम सपना नहीं देख रहे हो ये हकीकत है और वो भी हकीकत ही था जिसे तुम सपना समझ रहे थे...!!""जो भी हो लेकिन तुम मेरे शरीर में क्या कर रही हो बाहर निकलो मेरे शरीर से...!!" मैंने डरते हुए बोला।अमृता "नहीं निकलूंगी जब तक मेरा प्रतिशोध पुरा नही हो जाता तब तक मैं तुम्हारे शरीर में ही रहूंगी और तुम्हें मेरा साथ देना