"जब देंखूं बन्ना री लाल-पीली अँखियाँ...." एक माँगलियार लोक कलाकार जैसलमेर में सुनहरे पत्थरों से बनी पटवों की हवेली के पास यह गीत गा रहा था। जिसके आसपास खड़े कुछ टूरिस्ट राजस्थानी लोक गीत-संगीत का आनंद ले रहे थे। विक्रम मिस्टर गिल एवं मिसेज गिल को इस गीत के लिरिक्स का अर्थ बता रहा था। सोनम ,जगजीत और बिंदु पास में ही दुकान से कुछ कलात्मक वस्तुओं को देखने में लगे थे। सोनम कालबेलियाई शैली में बना एक लहंगा देखने में मशगूल हो गयी । पास में ही जगजीत अपने दोनों हाथ अपनी जींस के आगे की जेबों में रखकर