कोट - ३१

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गाँव की यात्रा:"बहुत साफ दिख रहा मेरा पहाड़सूरज के साथमनुष्य के भावों के टटोलता।" इन्हीं भावों के साथ गुजरात से यात्रा आरम्भ की इस बार २०२३ में। सात साल बाद रेलगाड़ी में बैठा था। दिल्ली में उतरा और चम्पावत के एक ड्राइवर ने नौयडा अतिथि गृह में पहुँचा दिया। उसने बताया वह पहले रैनबैक्सी में काम करता था। बोला शुद्ध हिन्दी में लिखा है "अतिथि गृह"। यहाँ तो बड़े लोग ही आ पाते हैं। मैंने कहा ऐसा नहीं है। वह अतिथि गृह और उससे लगी कालोनी, बाग बगीचे,खेल मैदानों आदि के रखरखाव और सौन्दर्य से बहुत प्रभावित लग रहा था