- 20 - ज्योत्सना तो अकेली पड़ गई है, यह सोचकर भाग्या ने एक सप्ताह के कपड़े अपने बैग में डालने आरम्भ कर दिए। अपनी सूती साड़ी को बैग में रखने लगी तो सोने का कंगन निकल कर फ़र्श पर घूमने लगा। कंगन उठाकर एक दृष्टि उसने अपनी कलाई में पहने कंगन पर डाली और दूसरी दृष्टि हाथ में लिए कंगन पर। दोनों कंगन अपने पास देखकर उसका दिमाग़ घूम गया। कंगन के चोरी होने और सलोनी द्वारा खोज कर देने का सारा दृश्य उसकी नज़रों के आगे आ गया। अचानक वह बहुत ज़ोर से चिल्लाई, ‘हे भगवान, आज मेरी