- 14 - सलोनी के फ़्लैट के पीछे कुछ झुग्गियाँ थीं। वहाँ की अधिकांश औरतें यहाँ की पॉश कॉलोनी के घरों में काम करती थीं। एक कामवाली के माध्यम से सलोनी ने पढ़ाने के लिए कुछ बच्चे एकत्रित कर लिए। माँ तो इस काम से खुश नहीं थी, परन्तु नानी ख़ुश थी। नानी की सहमति मिलने पर माँ भी कुछ विरोध नहीं कर पाती थी। धीरे-धीरे नानी भी यहाँ के समाज से जुड़ने लगी। सुबह मन्दिर जाती। दोपहर को मन्दिर में कथा पढ़ी जाती तो नानी प्रतिदिन सुनने जाती। बाड़ी को बेचने से मिली रक़म की व्यवस्था अग्रवाल जी की