छुटकी दीदी - 11

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- 11 - दिल्ली के लिए सलोनी को विदा करने के लिए सुकांत ने उसे स्टेशन पर मिलना था। ट्रेन के चलने का समय दस बजे था। सुकांत आठ बजे ही स्टेशन पर पहुँच गया। इंतज़ार की घड़ियाँ परेशान करने लगीं तो सलोनी को फ़ोन लगाया। ‘कहाँ हो सलोनी?’ ‘रस्ते में … ऑफिस आवर है … इसलिए कुछ जाम लगा हुआ है, आप कहाँ हो?’ ‘मैं तो पहुँच गया हूँ।’ ‘ठीक है, हम टैक्सी स्टैंड के बाहर ही आपको मिलते हैं।’ ‘ठीक है।’ ‘शायद हम पाँच मिनट में पहुँच जाएँगे।’ दोनों सामान के साथ प्लेटफ़ार्म पर पहुँच गए, परन्तु अभी