निर्भय अपने मन की बात सोनिया से कहने का इरादा करके आया ज़रूर था पर उसकी बड़ी-बड़ी आँखों की गहराई में डूबने लगा, वह हकलाने लगा। वह भयभीत था इसलिए नहीं कि वह डरता था बल्कि इसलिए कि उसकी बात सुनकर कहीं सोनिया इंकार ना कर दे। बस इसी कारण उसकी जीभ शब्दों के साथ न्याय नहीं कर पा रही थी। तभी सोनिया ने कहा, " जल्दी बोलो ना निर्भय, तुम क्या कहना चाहते हो?" "सोनिया मैं... मैं ... तुमसे प्यार करता हूँ बहुत प्यार करता हूँ और तुम्हें अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहता हूँ, क्या तुम ... ?" सोनिया