रोहन बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर चहलकदमी कर रहा था । ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे चिढ़ा रही थी । पिछले 3 घंटे से उसकी पत्नी सोनिया ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी । अकेले होने के कारण रोहन की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । कभी वह सोनिया की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता; कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता; कभी अपनी कलाई में बँधी घड़ी की तरफ देखता । उसे लग रहा था मानो आज समय की रफ़्तार रुक सी गई है। तभी रोहन की नज़र सामने से आती, सोनिया की