गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 35

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भाग 34 जीवन सूत्र 37 मन का मोह के दलदल से दूर रहना आवश्यक जीवन सूत्र 38:बुद्धि का स्थिर हो जाना ही योग है जीवन सूत्र 37 मन का मोह के दलदल से दूर रहना आवश्यक भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है: - यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति। तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।2/52।। इसका अर्थ है,हे अर्जुन!जिस समय तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी,उसी समय तू सुने हुए और सुनने में आनेवाले इस लोक और परलोक संबंधी सभी भोगों से वैराग्य को प्राप्त हो जाएगा। भगवान कृष्ण ने इस श्लोक के लिए मोह हेतु दलदल रूपक