संस्कारों की जीत

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तो तुमने क्या सोचा? मुंबई में सागर तट पर डूबते सूरज को देखते हुए दीप ने प्रीत से पूछा ! प्रीत सोचते हुए बोली, दीप क्या ये गलत नहीं होगा,दिल kऔर दिमाग़ में लड़ाई चल रही है दिल कहता है ये सही नहीं,पर दिमाग़ कहता है कुछ भी गलत नही कैसी बातें कर रही हो,अब भी?गुस्से में दीप बोला तुम समझते क्यों नहीं? ये इतना आसान नहीं है, मेरे संस्कार ऐसे नहीं है कि -------I meen try to understand.विवश आवाज में प्रीत बोली मतलब तुम अब भी मुझ पर विश्वास नहीं करती हो, क्या यहीं तुम्हारा प्यार है, यहीं कसमें