[महर्षि अजगर और दैत्यर्षि का संवाद] दैत्यर्षि प्रह्लाद बड़े ही तत्त्वजिज्ञासु थे उनकी सभा में विद्वानों का खासा संग्रह था। इसके सिवा समय-समय पर वे स्वयं भी ऋषियों के आश्रमों में जाकर तत्त्वोपदेश सुनते और अपनी शङ्काओं का निराकरण कराते थे। साधु-संग स्वाभाविक ही उन्हें बहुत प्रिय था। एक दिन दैत्यर्षि प्रह्लाद कुछ तत्त्वोपदेश सुनने के उद्देश्य से तपोभूमि की ओर जा रहे थे कि मार्ग में ही 'महर्षि अजगर' मिल गये। महर्षि अजगर को देख दैत्यर्षि वहीं ठहर गये और सादर प्रणाम कर उनसे पूछने लगे 'हे ब्रह्मन्! आपको देखने से मालूम होता है कि आप तपोनिष्ठ योग्य विद्वान्