परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग26-दैत्यर्षि प्रह्लाद का शासन

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[महर्षि शुक्राचार्य की नीति-शिक्षा, महर्षि नारदजी का उपदेश]राजसिंहासन पर बैठने के साथ ही दैत्यर्षि प्रह्लाद ने जिस संयम और नियम के साथ शासनसूत्र को चलाया, वह परमभागवत प्रह्लाद के अनुरूप ही था। दैत्यर्षि के सिंहासनासीन होते ही सारे भूमण्डल में फिर एक बार सुखद साम्राज्य के प्रभाव से सत्ययुग ने अपना सत्ययुगी रूप धारण कर लिया। परलोकवासी हिरण्यकशिपु के आतंकपूर्ण शासनकाल में सारी प्रजा में विशेषकर शान्तिप्रिय वैष्णव जनता में जितना ही अधिक भय, कष्ट, अशान्ति एवं विपत्तियाँ छायी हुई थीं, उतना ही अधिक अभय, सुख, शान्ति और सम्पत्ति दैत्यर्षि प्रह्लाद के राजत्वकाल में चारों ओर दिखलायी देने लगीं।सुशासन की