परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग20 - दैत्य-बालकों को प्रह्लाद का उपदेश

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[नगर में घर-घर हरि कीर्तन, कयाधू माता की चिन्ता और पिता का क्रोध]विद्यालय में पहुँच कर प्रह्लाद ने अपना कार्य फिर आरम्भ कर दिया। नगरभर में, विशेषकर विद्यार्थियों और बालकों में प्रह्लाद के प्रति बड़ी ही सहानुभूति तथा भक्ति दिखलायी देने लगी। गुरुवरों के सामने, ज्यों ही प्रह्लादजी पिता के यहाँ से छुटकारा पाकर विद्यालय में पहुँचे, त्यों ही सभी छात्रों ने आनन्द-ध्वनि की और उनका जय-जयकार मनाया। एक दिन गुरुजी अपने नित्यकर्म में लगे हुए थे, इधर विद्यार्थियों ने आकर प्रह्लादजी को चारों ओर से घेर लिया। कुछ विद्यार्थियों ने कहा कि “राजकुमार! अब आप अपने पिताजी से हठ