परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग17 - प्रह्लाद का पुनः गुरुकुलवास

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[आचार्य का कठोर शासन]प्रह्लाद जी गुरुकुल में इस बार बड़ी निगरानी के साथ रक्खे गये। उनके आचार्य साम, दाम और भेद की नीति से उनको अपने वश में करने की चेष्टा करने लगे। बीच-बीच में दण्ड का भी भय दिखलाने लगे। जो प्रह्लाद संसार में किसी भी प्राणी के चित्त को किसी प्रकार से भी दुखाना नहीं चाहते थे, वे भला अपने गुरुवरों के तथा अपने जन्मदाता पिता के चित्त को दुखाना कैसे उचित समझते? अतएव वे बारम्बार इस बात की चेष्टा करने लगे कि, मेरी हरिभक्ति का दुःख गुरुओं को तथा पिताजी को न होने पाए। इसी अभिप्राय से