परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग12 - बालक प्रह्लाद को माता की शिक्षा

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[भक्ति की प्रबलता]जब से राजोद्यान में माता के साथ बालक प्रह्लाद की भक्ति-विषयिणी बातें हुई, तब से प्रह्लाद की भक्तिरस की धारा और भी अधिक वेग से प्रवाहित होने लगी, इससे माता कयाधू की चिन्ता दिनों दिन बढ़ने लगी। बालक प्रह्लाद संसार में जो कुछ देखते अथवा सुनते थे सभी में अपने हृदयेश्वर भगवान् हरि ही की भावना करने लगते थे और इसी आवेश में वे कभी उछल पड़ते, कभी नाच उठते और कभी-कभी गाने अथवा रोने लगते थे। दिनों दिन उनकी दशा लोगों को पागलों जैसी प्रतीत होने लगी और उनकी इस दशा की चर्चा चारों ओर होने लगी।