बंधन प्रेम के - भाग 7

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बंधन प्रेम के भाग 7 शांभवी उठकर भीतर गई और फिर कॉफी बनाकर ले आई। मेजर विक्रम ने कहा, "यह तुम्हारे हाथों में क्या है शांभवी?" शांभवी ने कहा,"विक्रम जी, मेजर शौर्य भी तुम्हारी तरह डायरी लिखा करते थे। अब आगे की कहानी इसी डायरी के आधार पर होगी, क्योंकि मुझे भी उनके जाने के बाद का पूरा घटनाक्रम इसी डायरी से पता लगा।" (15) चांद आकाश में धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा था। डायरी के पन्ने पलटते हुए शांभवी ने मेजर शौर्य के अतीत को पढ़ना शुरू किया:- ............मैं मेजर शौर्य,अपनी मातृभूमि के इस जन्नत कहे जाने वाले हिस्से में तैनात