18. खत तेरा और हौसलों की उड़ान बड़े दिनों के बाद आना खत तेरा….. और सदियों से लंबे इंतज़ार के एक-एक पल का किस्सा महज़ चंद लफ्ज़ों में अनकहे ही बयां कर जाना और करा जाना एहसास कि कभी न मिलने की मजबूरी पर भी नदी के दोनों किनारे साथ-साथ चलते हैं और नदी में उठने वाली एक लहर हर दिन इसके दोनों किनारों को जाकर छुआ करती है और संवेदनाओं की समान अनुभूति के लिए करती है पुल का काम…… इसकी धारा की ही तरह सतत अविरल गतिमान और उड़ने के लिए प्रदान करती है हर पल पंखों से