कैक्टस के जंगल - भाग 6

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6 भंवर रात्रि का समय था। चारों ओर गहरी नीरवता का साम्राज्य था। कौशाम्बी के घाट पर गंगा के किनारे शाही डोगी रस्सी से बंधी हुई थी। डोंगी में खड़े हुए कौशाम्बी के युवराज विक्रम पतित पावनी गंगा की फेनिल लहरों को निहार रहे थे। युवराज विक्रम इस समय नितान्त अकेले थे। उनके साथ न तो कोई सेवक था और न ही कोई सिपाही। डोंगी भी शायद वह स्वयं ही खेकर आए थे। शुक्ल पक्ष के पूर्ण चन्द्रमा की रजत चांदनी चारों ओर फैली हुई थी। इस चांदनी में गंगा के किनारे दूर-दूर तक बिखरे रेत के कण चांदी के