अदिति

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घने बादल छाए हुए थे। सूर्य उनसे निकलने की चेष्टा कर रहा था। रोशनी न होने के बावजूद सतगढ़ वासी बड़े जोश में थे। होली जो थी आज। घने बादलों की वजह से बच्चों के चेहरे पर भी चमक न थी। बादलो की वजह से उन्हें होली निरस्त जाती प्रतीत हो रही थी। इसी दुख दर्द के बीच एक उम्मीद की किरण दिखी-अदिति। अदिति सालो बाद होली खेलने आई थी। होली पर ही तीन साल पहले उसकी माता जी का देहांत जो हो गया था।विनय,समर और समीर के चेहरे पर आदिति को देख वहीं चमकती जो छप्पन भोग देख भुखे