पकडौवा - थोपी गयी दुल्हन - 12 - अंतिम भाग

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"मैं नही मानता"""अनुपम यह तुम्हारे मानने का सवाल नही है।यह हमारी संस्कृति है,रीति रिवाज है,परंपराएं है।""रानी तुम जानती हो।मैं तुमसे प्यार करता हूँ।तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।""अनुपम तुमने मुझे कब प्रपोज किया?""मैं चाहता था पहले माँ को इस शादी के लिए राजी कर लूं।""पहले तुम अपने प्यार का इजहार तो करते।अपनी इच्छा तो जाहिर करते।अगर तुम्हारी माँ तैयार नही होती तो तुम तब तक प्रतीक्षा करते,"रानी अनुपम को समझाते हुए बोली,"अब तुम छाया को अपना लो।""मतलब तुम्हे भूल जांऊ?""नही,"रानी बोली,"मुझे पत्नी बनाने वाले तो बहुत मिल जाएंगे लेकिन बहन नही।""क्या मतलब?""अनुपम तुम्हारे कोई बहन नही है और मेरे भाई नही