मां की भावनाओं का इन्वेस्टमेंट...

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हर सुबह की तरह आज की सुबह न थी....आज ना तो सूरज की किरणें घर के भीतर झांक रही थी और ना ही धूपबत्ती की खुशबू से घर महक रहा था। चारों तरफ एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई थी, जो रह रह कर किसी की कमी होने का अहसास करा रही थी। सोहन की जब नींद खुली तो वह चौंक गया ये सब देखकर.... सुबह के आठ बज चुके हैं लेकिन अभी तक घर में इतनी शांति क्यूं है....। वह खिड़की से पर्दा हटाता है, तब उसे सुबह की रोशनी दिखाई देती है....। वह अपनी पत्नी रेणु को नींद