देखो तो इन हरामजादों को, कैसे हाथ में हाथ मिलाए घूमे जा रहे हैं। ना मां-बाप का डर है ना समाज का। शाम हुई नहीं कि यह दृश्य देखते रहते है। इन भालमानस को कौन समझाए अब कि पढ़ाई कितनी जरूरी है। इनका क्या है शाम होते ही गाड़ी घोड़ा लेकर निकल पड़ते हैं और सुंदरियां आती है फिर सज धज के मानो किसी की शादी में आई हो। इतना ताम-झाम लीपा पोती मानो भारत नही अमेरिका के बाजार में खड़ा हूं। हमारी भी उम्र इन लड़कों जैसी है जो यहां लड़कियों के संग घूम रहे हैं। लेकिन कभी देखा