हमने दिल दे दिया - अंक ३७

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 अंक ३७ अधुरी बात      अगर अभी तक आपने इस प्रेमकथा के आगे के अंको को नहीं पढ़ा है तो सबसे पहेले उन अंको को पढले ताकि आप को आगे की कहानी पढने में सही आनंद आ सके |       पता नहीं पर वो कभी मिली नहीं मुझे ...अंश ने दिव्या से कहा |    कैसे मिलती उसने भी कुछ एसा देखा था जिस वजह से उसने तुम से ना मिलने का प्रण ले लिया था ...दिव्या ने कहा |    दिव्या ने कुछ एसी बात बोली जिसे सुनकर अंश के चौक गया होगा शायद की दिव्या एसा क्यों