अंक २४. आजादी की पहेली सास विधवा होकर जब पहेली बार दिव्या हवेली में आई उसके बाद आज पहेली बार दिव्या इस हवेली से बहार निकल रही है जो समाज के लिए और जादवा परिवार के लिए किसी अपशकुन से कम नहीं था पर नियती जब अपना खेल शुरू करती है तो कुछ एसा ही होता है जो शायद पहेली किसी ने भी ना सोचा हो | अंश और दिव्या दोनों पिछले रास्ते से होते हुए बहार आते है जिनकी दीवार पर चढ़ने में और उतरने में अंश के दोस्त मदद करते है | अंश के दोस्त