ताश का आशियाना - भाग 20

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दोनों घर पहुंचे रागिनी को लगा घर में अपरिचित व्यक्ति की उपस्थिति देखते हुए बहुत बड़ा हंगामा होगा लेकिन सब उसके विपरीत हुआ।वैशाली ने बड़े आदर से प्रतीक्षा का स्वागत किया।खाने के समय खाना खिलाया चाय के समय चाय पिलाई।लेकिन शाम को जब दोनों पुरुष घर वापस आए, तब चर्चा विशेषण चालू‌ हो गया।"नाम क्या है तुम्हारा?" श्रीकांत ने पूछा।प्रतीक्षा ने डरते–डराते हुए जवाब दिया, "जी,‌ प्रतीक्षा सरपोत्तदार।""रागिनी को कैसे पहचानती हो?""जी, कुछ साल पहले मेरे पापा का दिल्ली ट्रांसफर हुआ था, तब हम आजू बाजू में ही रहते थे।""क्या करते हैं तुम्हारे पिताजी?" अब यह सवाल प्रताप ने दागा