स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर

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"स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर"भारत जो एक लंबे समय तक पराधीनता के भाव और स्वभाव में जो जकङीत रह चूका था उसके लिए यह सफर तय कर पाना आसान नहीं था या यूँ कहे एक गुलामी के दर्द को भूलकर बंटवारे का दंश सहकर आगे बढ़ना आसान नहीं था। जो भी हो समय की नियति किसी व्यक्ति समाज देश विश्व के लिए ठहरता हीं नहीं अपितु वह अपने प्रकृति पर चलते हुए सभी विषय वस्तु को अपने में समेटेने का साहस रखती है।भारत को अंग्रेजों के शासन से वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिली। लेकिन अंग्रेजों ने जाने से पहले