खुशियों के छोटे से छोटे पल भी संजो के रखने चाहिए और समय समय पर पिटारे को खोलकर उन्हें महसूस भी करना चाहिए – रचना ख़ुशी के आंसू रचना : “रीना ! अब तुम्हारे बेटे को कैसा है ?” रीना : “अच्छा है दीदी ! ठीक हो गया |” रचना : “पर उसे हलके में मत लेना , पूरा ध्यान देना |” रीना : “जी दीदी “| रचना पूजा के कमरे से बाहर आई, उसकी आँखों में पानी था | रीना : “दीदी, आप जब भी पूजा करके बहार आते हैं तो आप की आँखों में आंसू क्यूँ होते