पकडौवा - थोपी गयी दुल्हन - 9

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यहाँ आने के बाद पहली बार छाया बंगले से बाहर निकल रही थी।अनुपम जंगल का निरीक्षण करते हुए आगे बढ़ने लगा।अनुपम तेज चल रहा था।छाया उस गति से नही चल पा रही थी।इसलिए उसे बीच बीच मे भागना पड़ रहा था।अनुपम चलते हुए पेड़ो पर नजर डालता जा रहा था।",सुनो"अनुपम ने उसकी आवाज को अनसुना कर दिया तब वह फिर बोली,"सुनो तो।'"क्या है?"अनुपम ने चलते हुए पीछे की तरफ देखा था।",कुछ देर रुक जाओ न""क्यो?'"बैठ लेते है।'"क्यो?"अनुपम रुककर बोला" कुछ देर के लिए बैठ लेते है।''क्यो?""मैं थक गई हूं।""तुम्हे बैठना है बैठो मैं चल रहा हूँ।"",प्लीज रुक जाओ न"छाया एक