अतीत के पन्ने - भाग 30

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आलोक इन्तजार करते करते आंख कब लग गई पता नहीं चल पाया।।और फिर अचानक छाया ने जगाया अरे बाबूजी उठो! देखो कौन आया है?आलोक एकदम डर कर उठ गए और फिर अपने सामने जतिन को देखते ही बोलें अरे आलेख कहां है?जतिन ने कहा अरे आलोक जी वही बताने आया हुं कि उनका बस खराब हो गया तो सब कहीं होटल में रुके हुए हैं कल सुबह सब निकलेंगे।।आलोक ने कहा ओह ये बात है शुक्रिया आपका।।जतिन ने कहा ना,जी ना। मुझे तो आना ही था।सोचा कि रात आज हवेली में गुजार दुंगा आपके साथ।आलोक ने कहा हां, ये तो