ममता की छाँव - भाग 9 - अंतिम भाग

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विदाई के बाद अंशिता हिमांशु के साथ उसके घर के लिए रवाना हो गई। कार में बैठकर हिमांशु ने कहा, “अंशिता आज से तीन माह पहले क्या कभी हमने सोचा था कि हमारा जीवन इतना बदलने वाला है। तुम तो मेरे, राधा और मीरा के लिए भगवान का दिया हुआ ऐसा वरदान बन गई हो जो कभी किसी को इस तरह नहीं मिलता।” हिमांशु की बात सुन कर अंशिता ने कहा, “हिमांशु आज के बाद एहसान, उपकार और वरदान जैसे शब्दों को बिल्कुल भूल जाओ। मैं तुम्हारी पत्नी और राधा मीरा की माँ हूँ बस इससे ज़्यादा और कुछ नहीं।”