इश्क़ ए बिस्मिल - 58

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थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद उनके कैबिन का डोर नॉक हुआ था। ज़मान खान से अंदर आने की इजाज़त मिलते ही एक पैन्तालिस साल की ग्रेसफुल औरत अंदर आई। “अससालामु अलैकुम मिसेज़ सिद्दीकी कैसी है आप?” उन्हें सलाम करते हुए ज़मान खान अपनी कुर्सी से उठ गए थे। उन्हें ऐसा करते देख अरीज भी खड़ी हो गई थी और अज़ीन तो वहाँ पर रखे मैगज़ीन को उलट पलट कर देख रही थी। “वालेकुम सलाम मिस्टर खान...अल्हमदुलिल्लाह...मैं बिल्कुल ठीक हूँ.... आप कैसे है?”“अल्हमदुलिल्लाह बोहत बढ़िया... इनसे मिलिए ये है मेरी बेटी... अरीज और अज़ीन।“ ज़मान खान उनके पास आए थे