तुम दूर चले जाना - भाग 4

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प्लूटो के जाने के पश्चात किरण उदास हो गयी, गम्भीर भी- स्वाभाविक ही था। दिल का प्यार ही जब दिल के आँगन से दूर हो। मिलन की आस और उम्मीद में जब वियोग से वास्ता आ पड़ा हो, तो मन का उदास होना बहुत निश्चित ही था। प्लूटो की अनुपस्थिति के कारण किरण का तो सारा संसार ही व्यर्थ प्रतीत होने लगा। दुनिया नष्ट हो गयी। स्वत: ही उसके चेहरे की सारी रंगत फीकी पड़ गयी। आशा मलिन हो गयी। आँखों में कभी भी न बोलनेवाली एक खामोशी ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। दृष्टि मानो थक सी गयी थी।