में और मेरे अहसास - 70

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खुदा की रज़ामंदी चाहिये lवफ़ा की रज़ामंदी चाहिये llपर्दा उठाकर हुस्न को देखने lलज्जा की रज़ामंदी चाहिये llरूख हवा का मोड़ने के लिए lफिज़ा की रज़ामंदी चाहिये llबहन को घुमाने ले जाने को lजिजा की रज़ामंदी चाहिये llगोपी के साथ रासलीला हो lकृष्णा की रज़ामंदी चाहिये ll१६-१२-२०२२ ख़्वाहिशों की चिड़िया उड़ चली l आज़ मंजिल की ओर बढ़ चली llलाख कोशिश के बाद नाकामी lदेर तक तकदीर से लड़ चली llआँखों में अश्क, हाथो में जाम lसाजन की गलियों से मुड़ चली llदुनिया की चालाकी से थककर lखुद अपनों के साथ जुड़ चली llमहबूबा की याद आते ही सखी lआँखों