भक्त प्रह्लाद

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भक्तराज असुर सम्राट 'प्रह्लाद जी' 'बेटा प्रह्लाद! कहाँ तो तेरा कोमल शरीर और तेरी सुकुमार अवस्था और कहाँ उस उन्मत्त के द्वारा की हुई तुझ पर दारुण यातनाएं। ओह! यह कैसा अभूतपूर्व प्रसंग देखने में आया। प्रिय वत्स! मुझे आने में यदि देर हो गयी हो तो तु मुझे क्षमा कर।' – भगवान् नृसिंहदेवभक्त-जगत् में प्रह्लाद सर्वशिरोमणि माने जाते हैं। प्रह्लाद की भक्ति में कहीं भी कामना, भय और मोह को स्थान नहीं है, उनकी भक्ति सर्वथा विशुद्ध, अनन्य और परम आदर्श है। जब भगवान् वाराह ने पृथ्वी को रसातल से लाते समय हिरण्याक्ष को मार दिया तब से हिरण्यकशिपु