सत्यप्रकाश अपनी आप-बीती को मित्र के साथ साझा करने में सकुचा रहें थे । उन्हें पूरा भरोसा था कि उनकी बात पर सब उनका मख़ौल उड़ायेंगे । मन ही मन उन्होंने यह तय किया - नाहक ही हास्य का पात्र बनने से अच्छा हैं अन्य किसी उपाय के माध्यम से इस पुराने हैंडपंप के गाँव से पिंड छुड़ाना होगा। अचानक तेजी से एक गेंद सत्तू काका के पास से गुजरी औऱ उनके विचारों की तंद्रा टूटी । वे अतीत की गहरी खाइयों से वर्तमान के धरातल पर आ पहुँचे । सूर्या हाथ में बल्ला लिए उनकी तरफ़ दौड़ता हुआ आ