यूं गल रही हैं हसरतें

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यूं गल रहीं हैं हसरतें कहानी/शरोवन यूं तो हर किसी को अपने घाव गहरे नज़र आते हैं, मगर मानसिकता के तौर पर मिले हुये ज़ख्मों से टपकता हुआ खून जब दिल की किताब पर तकदीर की एक दूसरी कहानी लिखने लगे तब इंसान की समझ में आता है कि जिस प्यार के मन्दिर की इबादत में उसने सीढि़यों की सारी ईटें घिस दी हैं, वह तो सब एक छल और फरेब था ही पर, खुद की बेवकूफी भी थी। तकदीर ने आहुति की जि़न्दगी की डोर डेनिएल के साथ बांध दी तो बदले में आहुति को तीन बच्चों का बोझ