“वोह ज़रूर वापिस आएगी,” विजयराज जी ने अभिमन्यु को आश्वस्त करते हुए कहा जब अनाहिता उनके ऑफिस से बाहर निकल गई थी। उन्हे यकीन था चाहे कितना भी वोह अनाहिता को प्रताड़ित कर लें वोह उनकी बात नहीं टलेगी। अभिमन्यु अनाहिता के ज़ोर ज़ोर से और तेज़ कदमों की आवाज़ सुन रहा था जब अनाहिता सीढियां चढ़ रही थी। जब आवाज़ धुंधली हो गई तब उसने अपना रुख विजयराज जी की तरफ किया। “मैं उसके लिए ज़रा भी परेशान नहीं हूं,” अभिमन्यु ने अपने पैर नीचे करते हुए कहा। “मैं तुम्हे पहले ही बता देना चाहता हूं, की वोह बहुत