इश्क़ ए बिस्मिल - 49

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अरीज अपना दर्द भूल कर अब आसिफ़ा बेगम को फटी फटी आँखों से देख रही थी। कुछ देर पहले उसके गाल पर रखे उसके हाथ अब मूंह पर रखे थे। दूसरी तरफ़ आसिफ़ा बेगम के आँखों में जैसे खून उतर आया था। वह एक घायल शेरनी की तरह ज़मान खान को देखे जा रही थी। “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उसे हाथ लगाने की?.... क्या सोच कर तुमने उस पर हाथ उठाया?...” ज़मान खान जैसे अपने लफ़्ज़ों को चबा चबा कर बोल रहे थे। उनकी आँखें गुस्से से लाल हो रही थी। “आपने मुझ पर हाथ उठाया?... वो भी इस दो