रॉबर्ट गिल की पारो - 20 - अंतिम भाग

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भाग 20 अचानक हवा का एक झोंका आया और दरवाजा खुल गया। बाहर भी अंधेरा था। रॉबर्ट ने देखा कि दरवाजे की ओट लेकर पारो झाँक रही है। वह खुश हो उठा। ‘पारो को भीतर बुला लो टैरेन्स वह बारिश में भीग चुकी है।’ रॉबर्ट तेज बुखार में था। टैरेन्स सिहर उठा। वह उठा और दरवाजा बंद कर दिया। पर्दे की ओट लेकर रोया-रोया सा जयकिशन खड़ा था। पारो... रॉबर्ट ने पुकारा। नहीं कोई नहीं था। केवल अंधेरा। हवा में पत्ते सरसरा रहे थे। समय रॉबर्ट का पीछा नहीं छोड़ रहा था। पसीने से लथपथ हो चुका था रॉबर्ट अर्थात