एक रूह की आत्मकथा - 5

  • 6.2k
  • 3.3k

'एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानेंगी कामिनी भाभी'-समर ने सकुचाते हुए मुझसे कहा। -कहो न,क्या कहना है?मैंने अपनी खुशी के अतिरेक पर विराम लगाते हुए पूछा। 'ये बच्चा....ये ....ये ....आपके कैरियर में बाधा बन जाएगा।'समर यह कहते समय हकला रहा था। -कैसे?मैंने गुस्से से समर को देखा। 'ग्लैमर की दुनिया में माँ बन चुकी महिला नहीं चल पाती।सारी सुंदरता और टैलेंट के बाद भी। उसके प्रशंसकों की नजरें बदल जाती हैं।यह एक क्रूर सच है।' --तो मुझे क्या करना चाहिए?मैंने तीब्र दृष्टि से समर की ओर देखा। 'मैं क्या कहूँ?आप खुद समझदार हैं।' -तो तुम चाहते हो कि मैं